35 करोड़ रुपये की इज़राइली टाइम मशीन धोखाधड़ी। कैसे एक दंपति ने लोगों को उम्र घटाने के सपने दिखाकर ठगा ?


हाल ही में, उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक दंपति ने 35 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की, जिसमें उन्होंने लोगों को उम्र घटाने का सपना दिखाया। राजीव कुमार दुबे और उनकी पत्नी रश्मि दुबे ने दावा किया कि उनके पास एक इज़राइल में बनी टाइम मशीन है जो ऑक्सीजन थेरेपी के माध्यम से लोगों को जवान बना सकती है।

धोखाधड़ी का तरीका

दंपति ने अपने क्लिनिक में ऑक्सीजन थेरेपी सत्र आयोजित किए और लोगों को बताया कि यह थेरेपी प्रदूषण के प्रभावों को उलट सकती है और उन्हें जवान बना सकती है। उन्होंने एक पिरामिड योजना भी चलाई, जिसमें लोगों को रेफरल के लिए छूट दी जाती थी। इस योजना के तहत, कई बुजुर्ग लोग उनके जाल में फंस गए, जो अपनी खोई हुई जवानी को वापस पाने की उम्मीद कर रहे थे।

लोगों की प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य पर प्रभाव

इस धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद, कई लोग गहरे सदमे में हैं और उन्होंने अपनी शिकायतें पुलिस में दर्ज कराई हैं। विशेष रूप से बुजुर्ग लोग, जो अपनी खोई हुई जवानी को फिर से पाने के सपने में थे, इस ठगी का सबसे बड़ा शिकार बने। वे इस नकली इलाज के लिए भारी रकम खर्च कर चुके थे, लेकिन न केवल उनकी आर्थिक स्थिति खराब हुई, बल्कि इसका उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ा। 

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:

जब कोई व्यक्ति अपनी भलाई या स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद करता है, खासकर बुजुर्ग व्यक्ति जो समय के साथ अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट महसूस कर रहे होते हैं, तो उनकी उम्मीदें उस उपचार या थेरेपी से बहुत जुड़ी होती हैं। यदि उन्हें विश्वास दिलाया जाता है कि वे अपनी खोई हुई जवानी वापस पा सकते हैं या अपनी उम्र घटा सकते हैं, तो यह उनके मन में एक नई आशा पैदा करता है। ऐसे में, जब यह दावा झूठा साबित होता है, तो यह उम्मीद टूट जाती है, और इसका गंभीर मानसिक प्रभाव पड़ सकता है। 

1. धोखा खाने का एहसास: जब व्यक्ति को यह अहसास होता है कि उसे ठगा गया है, खासकर तब जब उसने अपनी सारी बचत या धन इस आशा में खर्च कर दी हो, तो यह उनके आत्म-सम्मान और विश्वास को गहरा आघात पहुंचाता है। वे अपने निर्णय पर पछताते हैं और खुद को दोषी मानने लगते हैं कि उन्होंने इतने बड़े झूठ को कैसे नहीं पहचाना।

2. मानसिक तनाव और चिंता: आर्थिक नुकसान के साथ-साथ धोखाधड़ी का शिकार होने पर व्यक्ति मानसिक तनाव और चिंता में पड़ सकता है। बुजुर्ग लोग, जिनका मानसिक स्वास्थ्य पहले से ही उम्र के कारण कमजोर हो सकता है, इस तरह की धोखाधड़ी के बाद और भी अधिक मानसिक दबाव महसूस करते हैं। उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगती है, खासकर तब जब उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।

3. अवसाद (डिप्रेशन): जिन बुजुर्गों ने इस थेरेपी से बड़ी उम्मीदें बांध रखी थीं, उनमें धोखा खाने के बाद अवसाद की भावना पैदा हो सकती है। जीवन की इस अवस्था में, जब वे पहले ही स्वास्थ्य और उम्र से संबंधित चिंताओं से जूझ रहे होते हैं, ऐसी घटनाएं उन्हें जीवन के प्रति निराश और हताश बना सकती हैं। अवसाद के लक्षणों में आत्मसम्मान की कमी, किसी भी चीज़ में रुचि खोना, लगातार थकान महसूस करना और सामाजिक रूप से अलग-थलग हो जाना शामिल हो सकते हैं।

4. सामाजिक शर्मिंदगी: ठगे गए लोग, खासकर बुजुर्ग, समाज या परिवार के सामने अपनी स्थिति को लेकर शर्मिंदगी महसूस कर सकते हैं। उन्हें यह डर सताता है कि लोग उन्हें मूर्ख समझेंगे या उनके निर्णयों का मज़ाक उड़ाएंगे। इस तरह की सामाजिक शर्मिंदगी से वे और अधिक आंतरिक रूप से टूट जाते हैं और कई बार वे अपनी परेशानियों को साझा भी नहीं करते, जिससे उनका मानसिक बोझ बढ़ता जाता है।

इस तरह के मानसिक प्रभावों से उबरने में व्यक्ति को समय लग सकता है, और कई मामलों में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद की भी आवश्यकता हो सकती है।

शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: 

जब कोई व्यक्ति अवैज्ञानिक या नकली चिकित्सा पद्धतियों का शिकार होता है, तो इसका शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है, खासकर बुजुर्ग लोगों के मामले में, जिनका शरीर पहले से कमजोर होता है। इस तरह की नकली चिकित्सा विधियों के परिणामस्वरूप कई तरह के शारीरिक नुकसान हो सकते हैं। 

आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

1. अनुचित इलाज के कारण होने वाला शारीरिक नुकसान:  

ऑक्सीजन थेरेपी जैसे अप्रमाणित या अवैज्ञानिक उपचारों का उपयोग यदि गलत तरीके से या बिना विशेषज्ञ सलाह के किया जाए, तो यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। सामान्यत: ऑक्सीजन थेरेपी कुछ विशेष चिकित्सा स्थितियों के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन जब इसे गैर-आवश्यक स्थितियों में, जैसे कि उम्र घटाने के लिए, किया जाता है, तो इससे स्वास्थ्य को उल्टा नुकसान पहुंच सकता है। अत्यधिक ऑक्सीजन लेने से शरीर में ऑक्सीजन विषाक्तता (oxygen toxicity) हो सकती है, जिससे फेफड़ों, दिमाग, और अन्य अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

2. दवाओं और उपचारों के साइड इफेक्ट:  

नकली चिकित्सा पद्धतियों में अक्सर उन दवाओं या तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिनके परिणाम या तो सिद्ध नहीं होते या उनके उपयोग के खतरों का सही-सही मूल्यांकन नहीं किया गया होता है। अगर मरीजों को गलत दवाएं दी जाती हैं, तो इसके साइड इफेक्ट्स उनके स्वास्थ्य को और बिगाड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि उन्हें ऐसी दवाएं दी गईं जो उनके शारीरिक स्वास्थ्य के अनुरूप नहीं हैं, तो यह उनके हृदय, किडनी या अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं।

3. बीमारियों और संक्रमण का खतरा:

कई बार, अवैज्ञानिक थेरेपी देने वाले लोग स्वच्छता और सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करते। इससे व्यक्ति को संक्रमण होने का खतरा रहता है। उदाहरण के लिए, अगर क्लिनिक में ऑक्सीजन थेरेपी या किसी अन्य चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है, तो मरीज को संक्रमण हो सकता है, जो विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए गंभीर हो सकता है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से ही कमजोर होती है।

4. पहले से मौजूद बीमारियों का बिगड़ना:  

बुजुर्ग लोग अक्सर पहले से ही कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होते हैं, जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, या हृदय रोग। अगर वे नकली थेरेपी का शिकार होते हैं, तो इससे उनकी मौजूदा बीमारियों की स्थिति और खराब हो सकती है। इसके अलावा, बिना किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की निगरानी में थेरेपी या उपचार लेने से दवाओं के साथ गलत मेल हो सकता है, जिससे उनकी बीमारियां और गंभीर हो सकती हैं।

5. समय पर सही इलाज न मिलने के कारण समस्या बढ़ना:  

धोखाधड़ी के शिकार लोग, जो नकली थेरेपी पर विश्वास करते हैं, वे अक्सर सही इलाज लेने में देरी कर देते हैं। बुजुर्गों के लिए यह विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं। अगर सही समय पर उचित चिकित्सा देखभाल नहीं मिलती, तो उनकी स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर हो सकती हैं और कभी-कभी यह जीवन के लिए खतरा भी बन सकती है।

6. शारीरिक कमजोरी और थकावट:  

नकली या अवैज्ञानिक थेरेपी लेने से बुजुर्ग लोगों के शरीर को अत्यधिक थकावट हो सकती है, क्योंकि उनके शरीर को अनावश्यक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। गलत तरीके से किए गए उपचार से शरीर की ऊर्जा खत्म होती है, और बुजुर्ग व्यक्ति खुद को अधिक कमजोर और थका हुआ महसूस कर सकते हैं। यह उनकी दैनिक गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

कैसे बचें इस तरह की धोखाधड़ी से ?

यह घटना हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाती है कि हमें स्वास्थ्य और वेलनेस से संबंधित किसी भी अविश्वसनीय ऑफर से सावधान रहना चाहिए। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको ऐसी धोखाधड़ी से बचने में मदद कर सकते हैं:

1. वैज्ञानिक प्रमाणों की जांच करें: किसी भी थेरेपी या चिकित्सा पद्धति का चयन करने से पहले, उसके वैज्ञानिक प्रमाणों को जांचें और विशेषज्ञों से सलाह लें।
   
2. असाधारण दावों से बचें: अगर कोई योजना बहुत अच्छे परिणामों का वादा कर रही है, तो संभावना है कि वह धोखाधड़ी हो सकती है। ऐसे असाधारण दावों से हमेशा सतर्क रहें।

3. लाइसेंस और प्रमाणपत्र की पुष्टि करें: कोई भी चिकित्सा सेवा या थेरेपी का चयन करते समय, यह सुनिश्चित करें कि वे प्रमाणित और अधिकृत संस्थाओं द्वारा लाइसेंस प्राप्त हैं।

4. पिरामिड योजनाओं से सावधान रहें: ऐसी योजनाएं जो रेफरल और डिस्काउंट के नाम पर अधिक लोगों को जोड़ने की कोशिश करती हैं, अक्सर धोखाधड़ी साबित होती हैं। 

5. उपभोक्ता शिकायतें और समीक्षा पढ़ें: किसी भी नई सेवा का चयन करने से पहले, इंटरनेट पर उसकी समीक्षा पढ़ें और यह देखें कि क्या अन्य लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई है या नहीं।

यह घटना हमें यह सिखाती है कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और किसी भी अविश्वसनीय दावे पर विश्वास नहीं करना चाहिए। स्वास्थ्य और वेलनेस के क्षेत्र में, वैज्ञानिक प्रमाणों और विशेषज्ञों की सलाह पर ही भरोसा करना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए और खुद को इस तरह की धोखाधड़ी से बचाना चाहिए।


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