मानव प्रजनन की दुनिया में एक ऐसी ख़बर सामने आई है, जिसने वैज्ञानिकों और आम लोगों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है। हाल ही में प्रकाशित एक शोध में यह खुलासा हुआ है कि पुरुषों में पाया जाने वाला Y क्रोमोसोम, जो पुरुष लिंग निर्धारण के लिए ज़िम्मेदार होता है, धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है। इस शोध के नतीजों ने एक ऐसे भविष्य की ओर इशारा किया है जहां हो सकता है कि एक दिन दुनिया में केवल लड़कियां ही पैदा हों।
Y क्रोमोसोम का महत्व
Y क्रोमोसोम में मौजूद जीन ही बच्चों में पुरुष लिंग के विकास को सुनिश्चित करते हैं। अगर यह क्रोमोसोम पूरी तरह से गायब हो गया, तो इसका सीधा मतलब होगा कि प्राकृतिक रूप से पुरुष पैदा होना असंभव हो जाएगा। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होने में अभी लाखों साल बाकी हैं।
अच्छी ख़बर भी है
'Proceedings of the National Academy of Sciences' में प्रकाशित एक अन्य शोध ने इस चिंता को कुछ हद तक कम किया है। इस शोध में पाया गया कि चूहों की दो प्रजातियों ने अपना Y क्रोमोसोम खोने के बावजूद अपनी प्रजाति को बचाए रखने में कामयाबी हासिल की है। इससे यह उम्मीद जगी है कि शायद मानव भी इसी तरह का कोई रास्ता निकाल सकें।
क्रोमोसोम की कहानी
अधिकांश स्तनधारियों में X और Y क्रोमोसोम की संरचना एक जैसी होती है, लेकिन इनमें जीन का वितरण असमान होता है। यह असमानता ही पुरुषों और महिलाओं के बीच के अंतर को जन्म देती है। एक रोचक तथ्य यह है कि ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले प्लैटिपस नामक स्तनधारी में पक्षियों की तरह ही अलग सेक्स क्रोमोसोम होते हैं। इससे पता चलता है कि स्तनधारियों के X और Y क्रोमोसोम कभी सामान्य क्रोमोसोम हुआ करते थे।
क्या है भविष्य?
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर Y क्रोमोसोम के सिकुड़ने की यही रफ़्तार रही, तो अगले 1.1 करोड़ सालों में यह पूरी तरह से विलुप्त हो सकता है। हालांकि, यह एक लंबा समय है और इस दौरान हो सकता है कि कोई नया सेक्स निर्धारण करने वाला जीन विकसित हो जाए।
Y क्रोमोसोम का सिकुड़ना निश्चित रूप से एक चिंता का विषय है, लेकिन यह मानवता के अंत की घोषणा नहीं है। विज्ञान लगातार आगे बढ़ रहा है और हो सकता है कि भविष्य में हम इस समस्या का कोई समाधान खोज लें। फिलहाल, हमें इस विषय पर जागरूक रहने और वैज्ञानिक शोधों पर नज़र रखने की ज़रूरत है।